Title: आधुनिक हिंदी व्यंग्य परंपरा में शंकर पुणतांबेकर का योगदान Author: डॉ. शैक मेहराज Edition: First Edition Published & Printed by: CIRS PUBLICATION Lohaganjar, Chhitanpur-841245, Siwan, Bihar, India. Website: cirsp.com Email: info@cirsp.com Date of Publication: 7 August 2025 ISBN-13: 978-81-991376-0-8 © डॉ. शैक मेहराज 2025 आधुनिक हिंदी व्यंग्य साहित्य में शंकर पुणतांबेकर एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। उन्होंने व्यंग्य को केवल हास्य तक सीमित न रखकर उसे सामाजिक चेतना और आलोचना का प्रभावशाली माध्यम बनाया। उनके लेखन में गहन दृष्टिकोण, तीखा व्यंग्यबोध और भाषा की चातुर्यपूर्ण प्रयोगशीलता स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। पुणतांबेकर ने न केवल रूढ़ियों और व्यवस्थागत विसंगतियों पर प्रहार किया, बल्कि आम आदमी की मानसिकता और व्यवहारगत विरोधाभासों को भी उजागर किया। यह पुस्तक उनके समग्र साहित्यिक योगदान का विश्लेषण करते हुए आधुनिक हिंदी व्यंग्य की परंपरा में उनके अद्वितीय स्थान को रेखांकित करती है। "व्यंग्य वही सच्चा, जो हँसाने के साथ-साथ सोचने पर भी मजबूर करे।"